मुझ पे भी चश्मे करम ऐ मेरे आक़ा करना
हक़ तो मेरा भी है रहमत का तकाज़ा करना
तू किसी को भी उठाता नहीं अपने दर से
के तेरी शान के शाया नहीं ऐसा करना
मैं के ज़र्रा हूं मुझे वुसअते शहदा दे दे
कि तेरे बस में है क़तरे को भी दरिया करना
ये तेरा काम है ऐ आमना के दुर्रे यतीम
सारी उम्मत की शफ़ाअत तने तन्हा करना
मुझ पे मह़शर में नसीर उनकी नज़र पड़ ही गई
कहने वाले इसे कहते हैं ख़ुदा का करना