मदीना अर्शे आज़म पर नहीं रूए ज़मीं पर है
मग़र उस सरज़मीं को फ़ौक़ियत अर्शे बरीं पर है
शहे मेंराज का नक्शे क़दम अर्शे बरीं पर है
अब उस मिट्टी का क्या कहना सरापा जिस ज़मीं पर है
मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ले अला का तलवए अक़दस
शबे मेराज सरदारे मलाइक की जबीं पर है
वहां से साहेबे मेराज तन्हा अर्श पर पहुंचे
जहां सोज़िश का ग़लबा शह परे रूहुल अमीं पर है
हदे इदराक़ से बाला है मेराजे शहे बतहा
मग़र उसकी सदाक़त अहले ईमाँ के यक़ीं पर है
अग़र है मुन्किरे मेराज जिस्मानी तो ऐ ज़ाहिद
रियाकारी के सज्दों का निशां तेरी जबीं पर है
शबे असरा उन्हीं के सर शफ़ाअत का बंधा सेहरा
गुनहगारों की बख्शिश रहमतुललिल आलमीं पर है
मेरी जन्नत है अजमल वो जहां जन्नत के मालिक हों
यही जन्नत के मालिक हैं, मेरी जन्नत यहीं पर है