क़िस्मत में मेरी चैन से जीना लिख दे
डूबे न कभी मेरा सफ़ीना लिख दे
जन्नत तो ठिकाना है मगर दुनिया में
ऐ कातिब-ए-तक़दीर मदीना लिख दे 

ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम
हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएंगे
हामि-ए-बे-कसां ! क्या कहेगा जहाँ
आप के दर से ख़ाली अगर जाएंगे

ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम
हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएंगे

ताजदार-ए-हरम ! ताजदार-ए-हरम !
चश्मे-रहमत बकुशा सूए मनन्दाज़े-नज़र
ऐ कुरैशी लक़ब-ओ-हाशमी-ओ-मुत्तलबी 

ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम
हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएंगे
ताजदार-ए-हरम ! ताजदार-ए-हरम !

का तुमसे कहूं ऐ अरब के कुंवर
तुम जानत हो मन की बतियां
दर फुरक़ते-तो ऐ उम्मी लक़ब
काटे न कटत हैं अब रतियां
तोरी प्रीत में सुध-बुध सब बिसरी
कब तक ये रहेगी बेख़बरी
गाहे बफ़िगन दुज़दीदा नज़र
कभी सुन भी तो लो हमरी बतियां

ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम
हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएंगे
ताजदार-ए-हरम ! ताजदार-ए-हरम !

ख़ौफ़-ए-तूफ़ान है, बिजलियों का है डर
सख़्त मुश्किल है आक़ा ! किधर जाएं हम
आप ही गर न लेंगे हमारी ख़बर
हम मुसीबत के मारे किधर जाएंगे

ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम
हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएंगे
ताजदार-ए-हरम ! ताजदार-ए-हरम !
कोई अपना नहीं ग़म के मारे हैं हम
आप के दर पे फ़रियाद लाए हैं हम
हो निग़ाह-ए-करम, वरना चौखट पे हम
आप का नाम ले ले के मर जाएगें 

ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम
हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएंगे
ताजदार-ए-हरम ! ताजदार-ए-हरम !

मय-कशो ! आओ आओ ! मदीने चले
चश्म-ए-साक़ी-ए-कौसर से पीने चले

मय-कशो ! आओ आओ !  मदीने चले
आओ !  मदीने चले, आओ !  मदीने चले
आओ !  मदीने चले, आओ !  मदीने चले
तजल्लियों की अजब है फ़िज़ा मदीने में
निगाह-ए-शौक़ की है इंतिहा मदीने में
ग़म-ए-हयात ना ख़ौफ़-ए-क़ज़ा मदीने में
नमाज़-ए-इश्क़ करेंगे अदा मदीने में
इधर-उधर ना भटकते फिरो ख़ुदा के लिए
ब-राह-ए-रास्त है राह-ए-ख़ुदा मदीने में
आओ !  मदीने चले, आओ !  मदीने चले
आओ !  मदीने चले, आओ !  मदीने चले
मदीने चले, मदीने चले, मदीने चले, मदीने चले
इसी महीने चले, इसी महीने चले
आओ !  मदीने चले, आओ !  मदीने चले
दुख-रंज-ओ-अलम सब जटते हैं
हसनैन के सदक़े बंटते हैं
आओ !  मदीने चले, आओ !  मदीने चले
मय-कशो ! आओ आओ ! मदीने चले
चश्म-ए-साक़ी-ए-कौसर से पीने चले

याद रखो अगर उठ गई एक नज़र
जितने ख़ाली हैं सब जाम भर जाएंगे

ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम
हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएंगे
ताजदार-ए-हरम ! ताजदार-ए-हरम !
ताजदार-ए-हरम, करम करम
ताजदार-ए-हरम, करम करम
या मुस्तफ़ा, या मुज़्तबा, इरहम लना, इरहम लना
दस्त-ए-हमा बेचारा रा, दामां तुई, पुर्सां तुई
मन आसियम, मन आजिज़म, मन बे-कसां हाल-ए-मरा
या शाफ-ए-रोज़-ए-जज़ा, पुर्सां तुई, पुर्सां तुई
ऐ मुश्क बे ज़ंबर फ़िशां, ऐ के नसीम-ए-सुब्ह-दम
ऐ चारागर ईसा नफ़स, ऐ मूनिस-ए-बीमार-ए-ग़म
ऐ क़ासिद-ए-फर्ख़ुन्दा पे, तुझ को उसी गुल की क़सम
इन्नल्ति या रीह़-स्स़बा यौमन इला अर्दिल्ह़रम
बल्लिग़ सलामी रवदतन फ़ीह-न्नबीयुल-मुह़तरम
ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम
हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएंगे
ताजदार-ए-हरम, करम करम
ताजदार-ए-हरम, करम करम