करम के बादल बरस रहे हैं, दिलों की खेती हरी भरी है

करम के बादल बरस रहे हैं, दिलों की खेती हरी भरी है ये कौन आया के ज़िक्र जिस का नगर नगर है गली गली है  ये कौन आया के ज़िक्र जिस का नगर नगर है गली गली है ये कौन बन कर क़रार आया, ये कौन जाने-बहार आया गुलों के चेहरे हैं निखरे निखरे, कली कली में शगुफ़्तगी है ये कौन आया के...

रुख़ दिन है या मेहरे समा येह भी नहीं वोह भी नहीं

रुख़ दिन है या मेहरे समा येह भी नहीं वोह भी नहीं शब ज़ुल्फ़ या मुश्के ख़ुता येह भी नहीं वोह भी नहीं मुम्किन में येह क़ुदरत कहां वाजिब में अ़ब्दिय्यत कहां ह़ैरां हूं येह भी है ख़त़ा येह भी नहीं वोह भी नही ह़क़ येह कि हैं अ़ब्दे इलाह और अ़ालमे इम्कां के शाह बरज़ख़ हैं वोह सिर्रे...

मैनूं मजबूरियां ते दूरियां ने मार्या

मैनूं मजबूरियां ते दूरियां ने मार्या सद लो मदीने आक़ा, करो मेहरबानियां  डाहड़ा हां ग़रीब आक़ा, कोल मेरे ज़र नहीं उड़के मैं कीवें आवां नाल मेरे पर नहीं असीं ते डेरा तेथों बड़ी दूर ला लया सद लो मदीने आक़ा, करो मेहरबानियां मैनूं मजबूरियां ते दूरियां ने मार्या कोण जाके दस्से...

अल्लाहुम्म स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिन

अल्लाहुम्म स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिन व अ़ला आलिहि व स़हबिहि व बारिक व सल्लिम अल्लाह पढ़ता है दुरूद अपने हबीब पर रेहमान जो करता है वो तुम भी किया करो अल्लाहुम्म स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिन व अ़ला आलिहि व स़हबिहि व बारिक व सल्लिम सरवर कहूं...

दिलो-निगाह की दुनिया नई नई हुई है

दिलो-निगाह की दुनिया नई नई हुई है दुरूद पढ़ते ही ये कैसी रौशनी हुई है  मैं बस युहीं तो नहीं आ गया हूं महफ़िल में कहीं से इज़्न मिला है तो हाज़री हुई है ये सर उठाए जो मैं जा रहा हूं जानिबे-ख़ुल्द मेरे लिये मेरे आक़ा ने बात की हुई है रज़ा पुल से अब वज्द करते गुज़रिये मेरे...