फ़लक के नज़ारो ! ज़मीं की बहारो !

फ़लक के नज़ारो ! ज़मीं की बहारो ! सब ईदें मनाओ, हुज़ूर आ गए हैं उठो ग़म के मारो ! चलो बे-सहारो ! ख़बर ये सुनाओ, हुज़ूर आ गए हैं हुज़ूर आ गए हैं, हुज़ूर आ गए हैं, हुज़ूर आ गए हैं, हुज़ूर आ गए हैं अनोखा निराला वो ज़ी-शान आया, वो सारे रसूलों का सुल्तान आया अरे कज-कुलाहो ! अरे...

ईदे मीलादुन्नबी है दिल बड़ा मसरूर है

ईदे मीलादुन्नबी है दिल बड़ा मसरूर है हर तरफ है शादमानी, रन्जो-ग़म काफूर है इस तरफ जो नूर है तो उस तरफ भी नूर है ज़र्रा ज़र्रा सब जहां का नूर से मा’मूर है हर मलक है शादमां खुश आज हर इक हूर है हां ! मगर शैतान मअ रु-फक़ा बड़ा रन्जूर है आमदे सरकार से ज़ुल्मत हुई काफूर है क्या...

ढूंढते रह जाओगे, ढूंढते रह जाओगे

ढूंढते रह जाओगे, ढूंढते रह जाओगे ढूंढते रह जाओगे, ढूंढते रह जाओगे   नूर का एसा सरपा ढूंढते रह जाओगे, ढूंढते रह जाओगे ढूंढते रह जाओगे, ढूंढते रह जाओगे साया मेरे मुस्तफ़ा का ढूंढते रह जाओगे, ढूंढते रह जाओगे ढूंढते रह जाओगे, ढूंढते रह जाओगे   नात की आदत हमे...

देखते क्या हो ! अहल-ए-सफ़ा !

आप आए तो, दुनिया मुनव्वर हुई बज़्म-ए-कौनैन में रौशनी घर घर हुई हादी-ए-दो-जहाँ ! हो सलाम आप पर सरवर-ए-इन्स-ओ-जां ! हो सलाम आप पर देखते क्या हो ! अहल-ए-सफ़ा ! आ पहुंचे महबूब-ए-ख़ुदा या’नी हो चुके जल्वा-नुमा शाह-ए-हक़, शाह-ए-बतहा ला-इलाहा इल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह...

दरबार-ए-मदीना सा दरबार नहीं मिलता

दरबार-ए-मदीना सा दरबार नहीं मिलता सरकार-ए-दो-आलम सा सरकार नहीं मिलता हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से तयबा का कोई ज़र्रा बे-कार नहीं मिलता दरबार-ए-मदीना सा दरबार नहीं मिलता सरकार-ए-दो-आलम सा सरकार नहीं मिलता ऐ मिस्र के बाज़ारो ! अच्छे हो बहुत लेकिन तयबा से हसीँ कोई...