शेहर नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है

शेहर नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है ख़ुल्द भी है मुश्ताक़े ज़ियारत जल्वा ही कुछ ऐसा है   दिल को सुकूं दे, आँख को ठंडक, रौज़ा ही कुछ ऐसा है फ़र्शे ज़मीं पर अर्शे बरी हो लगता ही कुछ ऐसा है   उनके दर पर ऐसा झुका दिल ! उठने का कुछ होश नहीं अहले शरीयत हैं सकते...

जो तेरा त़िफ़्ल है कामिल है या ग़ौस

जो तेरा त़िफ़्ल है कामिल है या ग़ौस तुफ़ैली का लक़ब वासिल है या ग़ौस     तसव्वुफ़ तेरे मक्तब का सबक़ है तसर्रुफ़ पर तेरा आ़मिल है या ग़ौस     तेरी सैरे इल्लल्लाह ही है फिल्लाह कि घर से चलते ही मूसिल है या ग़ौस     तू नूरे अव्वलो आख़िर है मौला तू...

जोबनों पर है बहारे चमन आराइये दोस्त

जोबनों पर है बहारे चमन आराइये दोस्त खुल्द का नाम न ले बुलबुले शैदाइये दोस्त थक के बैठे तो दरे दिल पे तमन्नाइये दोस्त कौन से घर का उजाला नहीं ज़ैबाइये दोस्त   अ़र्स ए ह़श्र कुजा मौक़िफ़े मह़मूद कुजा साज़ हंगामों से रखती नहीं यकताइये दोस्त मेह़र किस मुंह से जिलौ दारिये...