ज़माने में अगर देखी तो शान-ए-क़ादरी देखी

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या ग़ौस-ए-आज़म या ग़ौस-ए-आ’ज़म या ग़ौस-ए-आ’ज़म या ग़ौस-ए-आ’ज़म

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मैं क़ादरी हूँ, शुक्र है रब्ब-ए-क़दीर का दामन है मेरे हाथ में पीरान-ए-पीर का

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ज़माने में अगर देखी तो शान-ए-क़ादरी देखी 

नुबुव्वत के गुलिस्ताँ में विलायत की कली देखी 

हक़ीक़त खुल गई जब सर-ज़मीं बग़दाद की देखी

 तजल्ली ही तजल्ली, रौशनी ही रौशनी देखी 

दयार-ए-ग़ौस क्या देखा ! मदीने की गली देखी

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शह-ए-बग़दाद ने जिस पर करम की इक नज़र डाली

 बना हर काम उस का, हो गई सब दूर बद-हाली

 मेरे गौस-उल-वरा की शान है क्या शान है ‘आली 

सुवाली आप के दर से कभी लौटा नहीं ख़ाली

 शहंशाहों से भी बढ़ कर सख़ावत आप की देखी

दयार-ए-ग़ौस क्या देखा ! मदीने की गली देखी दयार-ए-ग़ौस क्या देखा ! मदीने की गली देखी

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निदा देगा मुनादी हश्र में यूँ क़ादरियों को कहाँ हैं क़ादरी कर लें नज़ारा ग़ौस-ए-आ’ज़म का

दयार-ए-ग़ौस क्या देखा ! मदीने की गली देखी दयार-ए-ग़ौस क्या देखा ! मदीने की गली देखी

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फ़रिश्तो रोकते क्यूँ हो मुझे जन्नत में जाने से

ये देखो हाथ में दामन है किस का ! गौस-ए-आ’ज़म का

दयार-ए-ग़ौस क्या देखा ! मदीने की गली देखी दयार-ए-ग़ौस क्या देखा ! मदीने की गली देखी

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या ग़ौस ! अल-मदद पीरान-ए-पीरअल-मदद

रौशन-ज़मीर अल-मदद

या शाह-ए-जीलाँ अल-मदद

या पीर-ए-पीराँ अल-मदद

या मीर-ए-मीराँ अल-मदद

या ग़ौस-ए-आज़म अल-मदद

या ग़ौस अल-मदद

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इमदाद कुन, इमदाद कुन

अज़ रंज-ओ-ग़म आज़ाद कुन

दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन

या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर 

इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन

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तेरे हाथ में हाथ मैं ने दिया है 

तेरे हाथ है लाज, या ग़ौस-ए-आज़म

इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन

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निकाला है पहले तो डूबे हुओं को और अब डूबतों को बचा, गौस-ए-आ’ज़म

इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन

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मेरी मुश्किलों को भी आसान कीजे कि हैं आप मुश्किल-कुशा, गौस-ए-आज़म

इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन

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मेरे चाँद ! मैं सदक़े, आ जा चमक उठे दिल की कली, गौस-ए-आ’ज़म 

इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन, इमदाद कुन

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दयार-ए-ग़ौस क्या देखा ! मदीने की गली देखी

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Natkhwan..Hafiz Tahir Qadri vs Hafiz Ahsan Qadri