या रसूल अल्लाह या हबीब अल्लाह
मेरे आक़ा मेरे दाता
मेरे आक़ा मेरे दाता
मेरे आक़ा…….

हो करम सरकार अब तो हो गए ग़म बेशुमार
जान-ओ-दिल तुम पर फ़िदा ऐ दो जहां के ताजदार
हो करम सरकार….

मैं अकेला और मसा’इल ज़िन्दगी के बेशुमार
आप ही कुछ कीजिए ना ऐ शहे आली वक़ार
हो करम सरकार….

जल्द फिर तुम लो बुला और सब्ज़ गुंबद दो दिखा
हाज़िरी की आरज़ू ने कर दिया फिर बेक़रार
हो करम सरकार…..

हाल पर मेरे करम की इक नज़र फ़रमाइए
दिल मेरा ग़मगीन है ऐ ग़मज़दों के ग़म-गुसार
हो करम सरकार…..

या रसूल अल्लाह सुन लीजे मेरी फ़रियाद को
कौन है जो के सुने तेरे सिवा मेरी पुकार
हो करम सरकार…..

क़ाफ़िले वालों सुनो याद आए तो मेरा सलाम
अर्ज़ करना रोते-रोते हो सके तो बार-बार
हो करम सरकार…..

गुंबदे ख़ज़रा के जल्वे और वो इफ़्तारियां
याद आती हैं बहुत रमज़ान-ए-तैबा की बहार
हो करम सरकार….

ग़मज़दा यूं ना हुआ होता उबैद-ए-क़ादरी
इस बरस भी देखता गर सब्ज़ गुंबद की बहार
हो करम सरकार….