मदीना अर्शे आज़म पर नहीं रूए ज़मीं पर है

मदीना अर्शे आज़म पर नहीं रूए ज़मीं पर है मग़र उस सरज़मीं को फ़ौक़ियत अर्शे बरीं पर है       शहे मेंराज का नक्शे क़दम अर्शे बरीं पर है अब उस मिट्टी का क्या कहना सरापा जिस ज़मीं पर है     मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ले अला का तलवए अक़दस शबे मेराज सरदारे मलाइक की...

मोमिन उनका क्या हुआ अल्लाह उसका हो गया

मोमिन उनका क्या हुआ अल्लाह उसका हो गया काफ़िर उनसे क्या फिरा अल्लाह ही से फिर गया   वोह कि उस दर का हुआ ख़ल्के ख़ुदा उस की हुई वोह कि उस दर से फिरा अल्लाह उस से फिर गया   मुझको दिवाना बताते हो मैं वोह हुशियार हूँ पाउं जब त़ौफ़े हरम में थक गये सर फिर गया  ...

अ़र्शे ह़क़ है मस्नदे रिफ़अ़त रसूलुल्लाह की

अ़र्शे ह़क़ है मस्नदे रिफ़अ़त रसूलुल्लाह की देखनी है ह़श्र में इ़ज़्ज़त रसूलुल्लाह की       क़ब्र में लहराएंगे ता ह़श्र चश्में नूर के जल्वा फ़रमा होगी जब त़ल्अ़त रसूलुल्लाह की       काफ़िरों पर तैग़े वाला से गिरी बर्क़े ग़ज़ब अब्र आसा छा गई हैवत...