ज़िक्रे अहमद से सीना सजा है, इश्क है ये तमाशा नहीं है

ज़िक्रे अहमद से सीना सजा है, इश्क है ये तमाशा नहीं है, वो भी दिल कोई दिल है जहां में, जिसमे तस्वीरे तैबह नहीं है। ऐ मेरी मौत रुक जा अभी तू, फिर चलेंगे (मिलेंगे) जहां तू कहेगी, अपने मश्के तसव्वुर में तैबह, मैंने जी भर के देखा नहीं है। हज की दौलत जिसे मिल न पाए, जाए जाए...