तेरे दामने करम में जिसे नींद आ गई है

जो फ़ना न होगी ऐसी उसे ज़िन्दगी मिली है

 

 

मुझे क्या पड़ी किसी से करुं अ़र्ज़े मुद्दआ़ मैं

मेरी लौ तो बस उन्हीं के दरे जूद से लगी है

 

वह जहान भर के दाता मुझे फ़ेर देंगे ख़ाली

मेरी त़ौबा ऐ खुदा यह मेरे नफ़्स की बदी है

 

 

मैं मरुं तो मेरे मौला यह मलाइका से कह दे

कोई इसको मत जगाना अभी आंख लग गई है

 

 

मैं गुनाहगार हूं और बड़े मर्तबों की ख़्वाहिश

तू मगर करीम है जो तेरी बन्दा परवरी है

 

तेरी याद थपकी देकर मुझे अब शहा सुला दे

मुझे जागते हुए यूं बड़ी देर हो गई है

 

तेरा दिल शिक़्स्ता अख़्तर इसी इन्तिज़ार में है

के अभी नवेदे वसलत तेरे दर से आ रही है