बे खुद किडेते ये हेन्, अन्दाज ए हिजाबान

आ डिल मेइन टुझरी रख लून्, ऐए जल्व ए जानना

जी चहता है टोउह्फरी मेइन बेह्जोउन मैन उन्हेइन आखेइन्
करी डर्शन क टो डर्शन हो, णज्रनरी क णज्रना ।

 

क्युन आन्ख मिलयी ठि, क्यून आग लगयी ठि
अब रुख को चुपा बैथ कर केय मुझरी डेवना ।

 

पीनरी को टो पी लोउन ग पेर अर्ज जरा सि है
करी अज्मेर क साकी हो, बघ्दद क मैखना ।

 

बेदम मेरी किस्मत मेइन सज्दरी हैन उसि घर कय्
चोता है ण चोउतरी ग सङ ए डर ए जनना ।