अहले सिरात रुह़े अमीं को ख़बर करें
जाती है उम्मत न-बवी फ़र्श पर करें

 

इन फ़ितना हाए ह़श्र से कह दो ह़जार करें
नाजों के पाले आते हैं रह से गुज़र करें

 

बद हैं तो आप के हैं भले हैं तो आप के
टुकड़ों से तो यहां के पले रुख़ किधर करें

 

सरकार हम कमीनों के अत्वार पर न जाएं
आक़ा हुज़ूर अपने करम पर नज़र करें

 

 

उनकी ह़रम के ख़ार कशीदा हैं किस लिये
आंखों में आएं सर पे रहें दिल में घर करें

 

 

जालों पे जाल पड़ गए लिल्लाह वक़्त है
मुश्किल कुशाई आपके नाखुन अगर करें

 

 

मन्ज़िल कड़ी है शाने तबस्सुम करम करें
तारों की छाउं नूर के तड़के सफ़र करें

 

 

किल्के रज़ा है ख़न्जरे ख़ूंख़ार बर्क़ बार
आ’दा से कह दो ख़ैर मनाएं न शर करें