हम ख़ाक हैं और ख़ाक ही मावा है हमारा
खाकी तो वोह आदम जदे आ’ला है हमारा
अल्लाह हमें खाक करे अपनी तलब में
येह खाक तो सरकार से तमगा है हमारा
जिस खाक पे रखते थे क़दम सव्यिदे आलम
उस खाक पे कुरबां दिले शैदा है हमारा
खुम हो गई पुश्ते फलक इस ता’ने ज़मीं
से सुन हम पे मदीना है वोह रुत्वा है हमारा
उस ने ल- कुबे खाक शहनशाह से पाया
जो हैदरे कर्रार कि मौला है हमारा
ऐ मुद्दइयो ! ख़ाक को तुम खाक न समझे
इस ख़ाक में मदफूं शहे बहा है हमारा
है ख़ाक से तामीर मज़ारे शहे कौनैन
मामूर इसी ख़ाक से किब्ला है हमारा
हम ख़ाक उड़ाएंगे जो वोह खाक न पाई
आबाद रजा जिस पे मदीना है हमारा