शोरे महे नौ सुन कर तुझ तक मैं दवां आया

साकी मैं तेरे सदके मै दे र-मज़ा आया

 

इस गुल के सिवा हर फूल बा गोशे गिरां आया

देखे ही गी ऐ बुलबुल जब वक्ते फुगां आया

 

जब बामे तजल्ली पर वोह नय्यरे जां आया

सर था जो गिरा झुक कर दिल था जो तपां आया

 

जन्नत को हरम समझा आते तो यहां आया

अब तक के हर इक का मुंह कहता हूं कहां आया

 

तयबा के सिवा सब बाग़ पामाले फ़ना होंगे

देखोगे चमन वालो ! जब अहदे खजां आया

 

सर और वोह संगे दर आंख और वोह बज़्मे नूर

ज़ालिम को वतन का ध्यान आया तो कहां आया

 

कुछ ना’त के तबके का आलम ही निराला है

सक्ते में पड़ी है अक्ल चक्कर में गुमां आया

 

जलती थी ज़मीं कैसी थी धूप कड़ी कैसी

लो वोह कदे बे साया अब साया कुनां आया

 

तयबा से हम आते हैं कहिये तो जिनां वालो

क्या देख के जीता है जो वां से यहां आया

 

ले तौके अलम से अब आज़ाद हो ऐ कुमरी

चिठ्ठी लिये बख्शिश की वोह सर्वे रवां आया

 

नामे से रज़ा के अब मिट जाओ बुरे कामो

देखो मेरे पल्ले पर वोह अच्छे मियां आया

 

बदकार रज़ा खुश हो बंद काम भले होंगे

वोह अच्छे मियां प्यारा अच्छों का मियां आया