ऐ इमामुल हुदा मुह़िब्बे रसूल

दीन के मुक़्तदा मुह़िब्बे रसूल

 

 

नाइबे मुस्त़फा मुह़िब्बे रसूल

साह़िबे इस्त़फा़ मुह़िब्बे रसूल

 

ख़ादिमें मुर्तज़ा मुह़िब्बे रसूल

मज़हरे इर्तज़ा मुह़िब्बे रसूल

 

ऐ़न ह़क़ का बना मुह़िब्बे रसूल

ऐ़न ह़क़ का बना मुह़िब्बे रसूल

 

 

जुब्दतुल अत्क़िया मुह़िब्बे रसूल

उम्दतुल अज़्किया मुह़िब्बे रसूल

 

 

गुरबा पर फ़िदा मुह़िब्बे रसूल

उ-मरा से जुदा मुह़िब्बे रसूल

 

ऐ सलक़ इक़्तिदा मुह़िब्बे रसूल

ऐ ख़लफ़ पेशवा मुह़िब्बे रसूल

 

सुक़्में दिल की शिफ़ा मुह़िब्बे रसूल

चश्में दीं की सफ़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

शर्क़े शाने वफ़ा मुह़िब्बे रसूल

बर्क़े जाने जफ़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

ऐ करम की घटा मुह़िब्बे रसूल

अपनी बारिश बढ़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

क्यूं न हो चांद सा मुह़िब्बे रसूल

नूर का जब्हा सा मुह़िब्बे रसूल

 

 

ह़रमैनो ह़िमा में बस के गया

न जफ़ो करबला मुह़िब्बे रसूल

 

 

तू कलामे खुदा का ह़ाफ़िज़ है

तेरा ह़ाफ़िज़ खुदा मुह़िब्बे रसूल

 

अ़ब्दे क़ादिर न क्यूं हो नाम की है

ज़िल्ले ग़ौसुल वरा मुह़िब्बे रसूल

 

अच्छे प्यारे की ख़ानाज़ादी है

अच्छा प्यारा बना मुह़िब्बे रसूल

 

 

शर्म वाले ग़नी का बेटा है

काने जूदो ह़या मुह़िब्बे रसूल

 

 

आज क़ाइम है दम क़दम से तेरे

दीने ह़क़ की बिना मुह़िब्बे रसूल

 

 

ठीक मे’यारे सुन्नियत है आज

तेरी हुब्बो विला मुह़िब्बे रसूल

 

 

सुन्नियत से फिरा हुदा से फिरा

अब जो तुझ से फिरा मुह़िब्बे रसूल

 

मुस्त़फा का हुवा खुदा का हुवा

अब जो तेरा हुवा मुह़िब्बे रसूल

 

 

मुज़्निबे बद मज़ाक़ रा ज़ह़रस्त

शह़द साफ़े शुमा मुह़िब्बे रसूल

 

 

आ़सियों रु सियाह दुश्मनें तुस्त

रंगे रुशुद गवा मुह़िब्बे रसूल

 

 

ख़ार ज़ारो के वासित़े है समूम

गुलबनो को सबा मुह़िब्बे रसूल

 

 

हदमे बुनयाने नज्द का तुर्रा

तेरे सर पर सजा मुह़िब्बे रसूल

 

 

हज़्मे अह़ज़ाबे नदवा का सेहरा

तेरे माथे रहा मुह़िब्बे रसूल

 

 

रफ़्ज़ो तफ़्ज़ीलो नज्दियत का गला

तेरे हाथों कटा मुह़िब्बे रसूल

 

तूने अब्नाए बद मज़ाक़ी को

पै पिदर कर दिया मुह़िब्बे रसूल

 

 

मातमी हैं ज़नाने नज्द की हाए

बेवा तूने किया मुह़िब्बे रसूल

 

जलते हैं नदविया कि सद्र की क़द्र

सर्द की तूने या मुह़िब्बे रसूल

 

सर मुंडाते ही पड़ गये ओले

तुझ से पाला पड़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

बख़्त खुल जाता तख़्त मिल जाता

तूने बन्दी रखा मुह़िब्बे रसूल

 

 

म-क-रु मक-र-हुम इन्दल्लाह

मक-रो-हुम वल जज़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

कोह अफ़्गन था उनका मक्र मगर

मक्रे ह़क़ था बड़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

पहले भी मक्रदारे नदवा को

ह़क़ ने दी सज़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

बा’द तेरह सदी के फिर उछला

अब वोह तुझ से दबा मुह़िब्बे रसूल

 

 

उनकी जो रुएदाद थी कर दी

तूने दम में हबा मुह़िब्बे रसूल

 

 

ज़र के मुफ़्ती बना करें मुख़्ती

तू है मुफ़्ती बजा मुह़िब्बे रसूल

 

 

नाज़िमें फ़ितना लाख हों तू है

नाज़िमें इहतिदा मुह़िब्बे रसूल

 

 

झूटे ह़क़्क़ानी बनते हैं गुमराह

सच्चे ह़क़्क़ानी आ मुह़िब्बे रसूल

 

 

कुछ मुदाहिन ह़मीर मीर बने

मीर उनको सुना मुह़िब्बे रसूल

 

यूं न समझें तो सर उड़ा या आप

तू दिल उनका उड़ा मुह़िब्बे रसूल

 

नदवी झुंझलाते हैं वोही तो हैं

असद अह़मद रज़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

ग़ाफ़िल इससे कि एक सुन्नी है

फ़ौजे ह़क़ में हूं या मुह़िब्बे रसूल

 

 

गल्लए बुज़ को एक शीर बहुत

वोह भी ला सीय्यमा मुह़िब्बे रसूल

 

 

हम बा जामेअ़ रमा रमद अज़ शेर

लुत्फ़ दे जुम्आ रा मुह़िब्बे रसूल

 

 

मेरे सत्तर सुवाल का क़र्ज़ा

न अदा हो सका मुह़िब्बे रसूल

 

 

न अदा हो अगर्चे मह़शर तक

ढील उन्हें दे मुह़िब्बे रसूल

 

 

बीसों ए’लानो पर भी हट न सका

घूंघट उन मुखड़ों का मुह़िब्बे रसूल

 

 

शर्में नौ ख़ास्तन रही ह़ाइल

नदवे को ह़सरता मुह़िब्बे रसूल

 

 

ह़ाल मुस्तन फि़रह का क़सवरह से

सब ने देखा सुना मुह़िब्बे रसूल

 

 

मेरे ख़न्ज़र की ताब ला न सके

ख़ाक पहुंचेंगे ता मुह़िब्बे रसूल

 

 

गालियां दीं जवाब के बदले

ज़ा ह़य्यलना मुह़िब्बे रसूल

 

 

शोला ख़ूयों को छेड़ कर सुनना

यां है इसका मज़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

तल्ख़ ज़ैबद लब श-करेख़ा रा

ख़्वाजा फ़रमा चुका मुह़िब्बे रसूल

 

हां न इन दो का तीसरा देखा

आंखें खुलतीं ज़रा मुह़िब्बे रसूल

 

 

तीसरा कौन ओ़ने ह़क़ जिसका

मैं फ़क़ीर और गदा मुह़िब्बे रसूल

 

 

तीसरा कौन बदरे ह़क़ जिसका

शर्क़ मैं और समा मुह़िब्बे रसूल

 

 

तीसरा कौन मेहरे ह़क़ जिसका

नुक़्ता मैं मिन्तक़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

साया इन दो पे कैसे दो का है

जिन का सालिस खुदा मुह़िब्बे रसूल

 

 

स़ानियस नैने इज़ हुमा फ़िल गार

मैं निसार और फ़िदा मुह़िब्बे रसूल

 

 

बल्कि दो अह़वली से कहते हैं

मैं हूं तुझ में फ़ना मुह़िब्बे रसूल

 

 

न तू मुझसे जुदा न मैं तुझ से

मैं तेरा तू मेरा मुह़िब्बे रसूल

 

 

ग़लत़ी की तेरा मेरा कैसा !

तू मनो मन तू या मुह़िब्बे रसूल

 

यह भी तेरे करम से है वरना

मन कुजा व कुजा मुह़िब्बे रसूल

 

 

मैं कहां और कहां तआ़लल्लाह

तेरी मदह़ो सना मुह़िब्बे रसूल

 

 

तेरी नेमत का शुक्र क्या कीजे

तुझ से क्या क्या मिला मुह़िब्बे रसूल

 

 

और तो और शैख़ तुझ से मिला

इस से बढ़कर है क्या मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि जिसके दर की ख़ाक

चश्में जां की जिला मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि इक झलक में करे

शब को शम्सुद्दुहा मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि जिसकी एक निगाह

दो जहां का भला शैख़ मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि जिसके मुरजाई

औलिया अस्फि़या मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि फ़ितनों की है क़ज़ा

जिस की एक एक अदा मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि जिसके नाम का विर्द

दर्दे दिल की दवा मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोहकि जिसके इ़श्क़ की आग

नार से है नजा मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि ह़क़ के फूल खिलाए

जिस के दम की हवा मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि जिसका आबे वुज़ू

बाग़े दीं की बहा मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी वोह कि ख़ाके पा से करे

मस्से जां को त़िला मुह़िब्बे रसूल

 

 

शैख़ भी कौन ह़ज़रत आले रसूल

ख़ातमुल औलिया मुह़िब्बे रसूल

 

 

उस के दर तक रसाई तुझसे मिली

तू हुआ रहनुमा मुह़िब्बे रसूल

 

 

मुह पे वाजिब है तेरा शुक्रे निअ़म

मुझ पे लाज़िम दुआ मुह़िब्बे रसूल

 

जग भगाते चराग़ सुन्नत के

ता अबद जगमगा मुह़िब्बे रसूल

 

 

न कभी बादे ह़ादिसा पास आए

न कभी झिलमिला मुह़िब्बे रसूल

 

 

दाइमा तेरी नस्ले रोशन में

शम्अ़ हो शम्अ़ ज़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

रहे ता रोज़े नूरो हुम यसआ़

रोज़ अफ़ज़ूं ज़िया मुह़िब्बे रसूल

 

 

मुक़्तदिर तेरे नौ बरों को करें

तुझ से भी कुछ सिवा मुह़िब्बे रसूल

 

 

तेरे साए में लहलहाएं खिलें

तेरे गुल गुलबुना मुह़िब्बे रसूल

 

 

मूरिसे मज्दो फ़ज़्ले आबा हो

वारिसुल अम्बिया मुह़िब्बे रसूल

 

 

ख़ारे दर चश्मों ख़्वार दर चश्मां

दुश्मनत दाइमा मुह़िब्बे रसूल

 

 

तुझ पे फ़ज़्ले रसूल का साया

मुझ पे साया तेरा मुह़िब्बे रसूल

 

 

मेरा शाफ़ेअ़ हुज़ूर ग़ौस में हूं

मद्ह का दे सिला मुह़िब्बे रसूल

 

 

मुद्दई से मुझे बचा ले ग़ौस

दिल का दें मुद्दआ़ मुह़िब्बे रसूल

 

 

मेरे सब काम इनसे बनवा दे

ज़ाहिरा बात़िना मुह़िब्बे रसूल

 

 

मुझे कर दे रिज़ाए अह़मद वोह

जिस ने तुझ को किया मुह़िब्बे रसूल

 

 

आह सद आह मैं हूं बिअ्सल अब्द

मदद ऐ हब्बज़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

बिअ्सा को नेअ़मा से बदलवा दे

अपने मौला से या मुह़िब्बे रसूल

 

कौन मौला वोह सय्यिदुल अफ़राद

ग़ौसे हर दो सरा मुह़िब्बे रसूल

 

 

मैं भी देखूं जो तूने देखा है

रोज़े सअ्ये सफ़ा मुह़िब्बे रसूल

 

 

हां यह सच है कि यां वोह आंख कहां

आंख पहले दिला मुह़िब्बे रसूल

 

 

तीनो भाई न कोई ग़म देखें

इ़श्क़े शह के सिवा मुह़िब्बे रसूल

 

 

मेरे बेटों भतीजों को भी हो

इ़ल्में शाफ़ेअ़ अ़त़ा मुह़िब्बे रसूल

 

दीनो दुनिया की इ़ज़्ज़तें पाए

रद रहे हर बला मुह़िब्बे रसूल

 

 

ख़ातिमा सब का दीने ह़क़ पे करे

कल्मए तय्यिबा मुह़िब्बे रसूल

 

 

खुल्द में ज़ेरे ज़िल्ले ग़ौसे करीम

रहें यक जा रज़ा मुह़िब्बे रसूल