
शेहरे-नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है
शेहरे-नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है ख़ुल्द भी है मुश्ताक़े-ज़ियारत जल्वा ही कुछ ऐसा है शेहरे-नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है दिल को सुकूं दे, आँख को ठंडक, रोज़ा ही कुछ ऐसा है फ़र्शे-ज़मीं पर अर्शे-बरी हो, लगता ही कुछ ऐसा है ख़ुल्द भी है मुश्ताक़े-ज़ियारत...
ज़मीनो ज़मां तुम्हारे लिये
ज़मीनो ज़मां तुम्हारे लिये, मकीनो मर्का तुम्हारे लिये चुनीनो चुनां तुम्हारे लिये बने दो जहाँ तुम्हारे लिये दहन में जब तुम्हारे लिये, बदन में है जो तुम्हारे लिये हम आए यहाँ तुम्हारे लिये, उठे भी वहां तुम्हारे लिये फ़िरिश्ते ख़िदम रसूले हिशम तमामे उमम गुलामे...
छोड़ फ़िक्र दुनिया की
छोड़ फ़िक्र दुनिया की, चल मदीने चलते हैं मुस्तफ़ा गुलामों की क़िस्मतें बदलते हैं छोड़ फ़िक्र दुनिया की रहमतों के बादल के साए साथ चलते हैं मुस्तफ़ा के दीवानें घर से जब निकलते हैं छोड़ फ़िक्र दुनिया की हम को रोज़ मिलता है सदक़ा प्यारे आका का...
क़ादरी आस्ताना सलामत रहे
क़ादरी आस्ताना सलामत रहे मुस्तफ़ा का घराना सलामत रहे पल रहे हैं जहा से ये दोनों जहां वो सखी आसताना सलामत रहे दर्दमंदों के सर पर है साया- फिगन आप का शामियाना सलामत रहे तुम से मंसूब है जिंदगी का निसाब हश्र तक ये फ़साना सलामत रहे। ये नकीरेन...
लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन
लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन, मिस्ले तो न शुद पैदा जाना जग राज को ताज तोरे सर सो, है तुझ को शहे दो सरा जाना अल-बहरू अला वल-मौजु तगा, मन बे कसो तूफ़ां होशरुबा मंजधार में हूं बिगड़ी है हवा, मोरी नय्या पार लगा जाना या शम्शू नज़रति इला लैली, चू ब तयबा रसी...
हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर
हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले-'अला झूम कर कह रही है ये बाद-ए-सबां ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ ! जो नबी के पसीने में मौजूद है...
ज़मीं मैली नहीं होती, ज़मन मैला नहीं
ज़मीं मैली नहीं होती, ज़मन मैला नहीं होता मुहम्मद के गुलामों का कफ़न मैला नहीं होता मोहब्बत कमली वाले से वो जज़्बा है सुनो, लोगो ! ये जिस मन में समा जाए, वो मन मैला नहीं होता मोहब्बत प्यारे आक़ा से वो जज़्बा है सुनो, लोगो ! ये जिस मन में समा जाए, वो मन...
या मुहम्मद नूर-ए-मुजस्सम
या मुहम्मद नूर-ए-मुजस्सम ! या हबीबी ! या मौलाई ! तस्वीर-ए-कमाल-ए-मोहब्बत, तनवीर-ए-जमाल-ए-खुदाई तेरा वस्फ़ बयाँ हो किस से, तेरी कौन करेगा बड़ाई इस गर्द-ए-सफ़र में गुम है जिब्रील-ए-अमीं की रसाई तेरी एक नज़र के तालिब, तेरे एक सुख़न पर कुर्बां ये सब तेरे दीवाने, ये...
वाह क्या जूदो करम है शहे कहा तेरा
वाह क्या जूदो करम है शहे कहा तेरा नहीं सुनता ही नहीं मांगने वाला तेरा धारे चलते हैं अता के वोह है क़तरा तेरा तारे खिलते हैं सखा के वोह है ज़र्रा तेरा फैज़ है या शहे तस्नीम निराला तेरा आप प्यासों के तजस्सुस में है दरिया तेरा अग्निया पलते हैं दर से वोह है बाड़ा...
कोई मंसूर, कोई बन के ग़ज़ाली आए
कोई मंसूर, कोई बन के ग़ज़ाली आए उन के दरबार से हो कर जो सवाली आए हो मेरे बस में तो मैं दिल में बिठा लूँ उन को चूम कर जो मेरे सरकार की जाली आए उन की रहमत को तो ये बात गवारा ही नहीं उन की चौखट पे कोई जाए तो ख़ाली आए उन के अल्ताफ़-ओ-करम बढ़ के ख़रीदें उन्हें आज भी ले के...