naat lyrics

नात सरकार की पढ़ता हूँ मैं

नात सरकार की पढ़ता हूँ मैं बस इसी बात से घर में मेरे रहमत होगी इक तेरा नाम वसीला है मेरा रंज-ओ-ग़म में भी इसी नाम से राहत होगी ये सुना है कि बहुत गोर अँधेरी होगी क़ब्र का ख़ौफ़ न रखना, ए दिल ! वहाँ सरकार के चेहरे की ज़ियारत होगी कभी यासीं , कभी ताहा, कभी वलैल आया जिस...

जो हो चुका है, जो होगा, हुज़ूर जानते हैं

जो हो चुका है, जो होगा, हुज़ूर जानते हैं तेरी 'अता से, ख़ुदाया ! हुज़ूर जानते हैं   वो मोमिनों की तो जानों से भी करीब हुए कहाँ से किस ने पुकारा, हुज़ूर जानते हैं   हिरन ये कहने लगी, छोड़ दे मुझे, सय्याद ! मैं लौट आऊँगी वल्लाह, हुज़ूर जानते हैं   हिरन...

मैं सो जाऊँ या मुस्तफ़ा कहते कहते

मैं सो जाऊँ या मुस्तफ़ा कहते कहते खुले आँख सल्ले-'अला कहते कहते   हबीब-ए-ख़ुदा का नज़ारा करूँ मैं दिल-ओ-जान उन पर निसारा करूँ मैं   मैं सो जाऊँ या मुस्तफ़ा कहते कहते खुले आँख सल्ले-अला कहते कहते   मुझे अपनी रहमत से तू अपना कर ले सिवा तेरे सब से किनारा...

क्यूँकर न मेरे दिल में हो उल्फ़त रसूल की

क्यूँकर न मेरे दिल में हो उल्फ़त रसूल की जन्नत में ले के जाएगी चाहत रसूल की   चलता हूँ मैं भी, क़ाफ़िले वालो ! रुको ज़रा मिलने दो बस मुझे भी इजाज़त रसूल की   पूछें जो दीन-ओ-ईमाँ नकरैन क़ब्र में उस वक़्त मेरे लब पे हो मिदहत रसूल की   क़ब्र में सरकार आएँ...

लुत्फ उन का आम हो ही जाएगा

लुत्फ उन का आम हो ही जाएगा शाद हर नाकाम हो ही जाएगा जान दे दो वादा-ए-दीदार पर नकद अपना दाम हो ही जाएगा शाद है फिरदोस यानी एक दिन क्रिस्मत-ए-ख़ुद्दाम हो ही जाएगा याद रह जाएँगी ये बे-बाकियाँ नफ़स तू तो राम हो ही जाएगा बे निशानों का निश मिटता नहीं मिटते मिटते नाम हो ही...

बड़ी उम्मीद है सरकार क़दमों में बुलाएँगे

बड़ी उम्मीद है सरकार क़दमों में बुलाएँगे करम की जब नज़र होगी मदीने हम भी जाएँगे दिलों में जो दिये उन की मोहब्बत के जलाएँगे यक़ीनन वो सुराग़-ए-मंज़िल-ए-मक्सूद पाएँगे अगर जाना मदीने में हुवा हम ग़म के मारों का मकीन-ए-गुंबद -ए-ख़ज़रा को हाल-ए-दिल सुनाएँगे क़सम अल्लाह की!...

सोचता हूँ मैं वो घड़ी, क्या अजब घड़ी होगी

सोचता हूँ मैं वो घड़ी, क्या अजब घड़ी होगी जब दर-ए-नबी पर हम सब की हाज़री होगी आरज़ू है सीने में, घर बने मदीने में हो करम जो बंदे पर, बंदा-परवरी होगी किब्रिया के जल्वों से क्या समाँ बँधा होगा महफ़िल-ए-नबी जिस दम 'अर्श पर सजी होगी बात क्या है! बाद-ए-सबा इतनी क्यूँ...

तू शम-ए-रिसालत है

तू शम-ए-रिसालत है, ' आलम तेरा परवाना तू माह-ए- नुबुव्वत है, ऐ जल्वा-ए-जानाना ! जो साक़ी-ए-कौसर के चेहरे से नक़ाब उठे हर दिल बने मय-खाना, हर आँख हो पैमाना दिल अपना चमक उठे ईमान की तल अत से कर आँखें भी नूरानी, ऐ जल्वा-ए-जानाना ! सरशार मुझे कर दे इक जाम-ए-लबालब से ता-...

जितना दिया सरकार ने मुझ को, उतनी मेरी औक़ात नहीं

जितना दिया सरकार ने मुझ को, उतनी मेरी औक़ात नहीं ये तो करम है उन का वर्ना मुझ में तो ऐसी बात नहीं तू भी वहीं पर जा कि जहाँ पर सब की बिगड़ी बनती है एक तेरी तक़दीर बनाना उन के लिए कुछ बात नहीं तू भी वहीं पे जा जिस दर पर सब की बिगड़ी बनती है एक तेरी तक़दीर बनाना इन के...

तेरे दामन-ए-करम में जिसे नींद आ गई है

तेरे दामन-ए-करम में जिसे नींद आ गई है जो फ़ना न होगी ऐसी उसे ज़िंदगी मिली है मुझे क्या पड़ी किसी से करूँ 'अर्ज़ मुद्द' आ मैं मेरी लौ तो बस उन्हीं के दर-ए-जूद से लगी है   वो जहान भर के दाता मुझे फेर देंगे ख़ाली मेरी तौबा, ऐ ख़ुदा ! ये मेरे नफ़्स की बढ़ी है जो...