या इलाही भूल जाऊं नज़्अ़ की तक्लीफ़ को

या इलाही भूल जाऊं नज़्अ़ की तक्लीफ़ को शादिये दीदारे ह़ुस्ने-मुस्त़फ़ा का साथ हो       या इलाही गोरे तीरह की जब आए सख़्त रात उन के प्यारे मुंह की सुब्ह़े जां फ़िज़ा का साथ हो       या इलाही जब पड़े मह़शर में शोरे दारो गीर अम्न देने वाले प्यारे...

इ़श्क़े मौला में हो ख़ूंबार कनारे दामन

इ़श्क़े मौला में हो ख़ूंबार कनारे दामन या खुदा जल्द कहीं आए बहारे दामन बह चली आंख भी अश्कों की त़रह़ दामन पर कि नहीं तारे नज़र जुज़ दो सेह तारे दामन अश्क बरसाऊं चले कूचए जाना से नसीम या खुदा जल्द कहीं निकले बुख़ारे दामन दिल शुदों का यह हुवा दामने अत़्हर पे हुजूम बे-दिलआबाद...

ईमान है क़ाले मुस्तफ़ाई, कुरआन है हाले मुस्तफ़ाई 

ईमान है क़ाले मुस्तफ़ाई, कुरआन है हाले मुस्तफ़ाई   अल्लाह की सलतनत का दूल्हा, नक़्शे तिम्साले मुस्तफ़ाई कुल से बाला रसूल से आला, इज्लालो जलाले मुस्तफ़ाई अस्हाबे नुजूमें रहनुमा हैं, कश्ती है आले मुस्तफ़ाई   इदबार से तू मुझे बचाले, प्यारे इक़्बाले मुस्तफ़ाई मुरसल...

ह़िर्ज़े जां ज़िक्रे शफ़ाअ़त कीजिये

ह़िर्ज़े जां ज़िक्रे शफ़ाअ़त कीजिये नार से बचने की सूरत कीजिये   उन के नक़्शे पा पर ग़ैरत कीजिये आंख से छुप कर ज़ियारत कीजिये   उनके हुस्ने बा मलाह़त पर निसार शीरए जां की ह़लावत कीजिये   उनके दर पर जैसे हो मिट जाइये ना तुवानों ! कुछ तो हिम्मत कीजिये  ...

लबे ई़सा से जां बख़्शी निराली हाथ में

लबे ई़सा से जां बख़्शी निराली हाथ में संगरेज़े पाते हैं शीरीं मक़ाली हाथ में   बे नवाओं की निगाहें हैं कहां तह़रीरे दस्त रह गई जो पा के जूदे ला यज़ाली हाथ में   क्या लकीरों में यदुल्लाह ख़त़ सरो आसा लिखा राह यूं उस राज़ लिखने की निकाली हाथ में   जूदे शाहे...

गुनहगारों को हातिफ़ से नवीदे खुश मआली है

गुनहगारों को हातिफ़ से नवीदे खुश मआली है मुबारक हो शफ़ाअ़त के लिये अह़मद सा वाली है     क़ज़ा ह़क़ है मगर इस शौक़ का अल्लाह वाली है जो उनकी राह में जाए वोह जान अल्लाह वाली है     तेरा क़द्दे मुबारक गुलबुने रह़मत की डाली है इसे बो कर तेरे रब ने बिना रह़मत...