हुज़ूर मेरी तो सारी बहार आप से है
मैं बे-क़रार था, मेरा क़रार आप से है
मेरी तो हस्ती ही क्या है ! मेरे ग़रीब नवाज़ !
जो मिल रहा है मुझे सारा प्यार आप से है
कहाँ वो अर्ज़-ए-मदीना ! कहाँ मेरी हस्ती !
ये हाज़री का सबब बार बार आप से है
सियाह-कार हूँ आक़ा ! बड़ी नदामत है
क़सम ख़ुदा की ! ये मेरा वक़ार आप से है
मोहब्बतों का सिला कौन ऐसे देता है !
सुनहरी जालियों में यार-ए-ग़ार आप से है
हुज़ूर आप की यादों में अश्क-ए-रहमत है
ये तेरी आँख ज़िया ! अश्क-बार आप से है