हक़ पसन्द व हक़ नुमा व हक़ नवा मिलता नहीं
मुस्तफ़ा ह़ैदर ह़सन का आईना मिलता नहीं
ख़ुश बयां व ख़ुश नवा व ख़ुश अदा मिलता नहीं
दिल नवाज़ी करने वाला दिल रुबा मिलता नहीं
मर्दे मैदाने रज़ा, वो ह़ैदरे दीने ख़ुदा
शेर सीरत, शेर दिल ह़ैदर नुमा मिलता नहीं
पैकरे सिदक़ो सफ़ा, वो शम्मे राहे मुस्त़फा
जो मुजस्सम दीन था वो क्या हुआ मिलता नहीं
ह़ाज़तें किसको पुकारें, किसकी जानिब रुख़ करें
हाज़तें मुश्किल में हैं, मुश्किल कुशा मिलता नहीं
वो अमीने अहले सुन्नत, राज़ दारे मुर्तज़ा
अशरफ़ व अफ़ज़ल, नजीबे बा सफ़ा मिलता नहीं
शिबले शेरे कर्बला, वो दाफ़-ए-कर्बो बला
वो हमारा ग़मज़दा, ग़म आशना मिलता नहीं
एक शाख़े गुल ही क्या, ग़मगीन है सारी फ़िज़ा
मुस्त़फा का अन्दलीबे ख़ुश नवा मिलता नहीं
याद रखना हम से सुनकर मिदह़ते ह़ैदर ह़सन
फिर कहोगे अख़्तरे ह़ैदर नुमा मिलता नहीं