इस करम का करूँ शुक्र कैसे अदा
जो करम मुझ पे मेरे नबी कर दिया
मैं सजाता हूँ सरकार की मेहफ़िलें
मुझ को हर ग़म से रब ने बरी कर दिया
मेरी बात बन गई है तेरी बात करते करते
तेरे शहर में मैं आऊं तेरी नात पड़ते पड़ते
तेरे इश्क़ की बदौलत मुझे ज़िन्दगी मिली है
मुझे मौत आए आक़ा ! तेरा ज़िक्र करते करते
मेरी बात बन गई है तेरी बात करते करते
तेरे शहर में मैं आऊं तेरी नात पड़ते पड़ते
मेरे सूने सूने घर में कभी रौनक़ें अता हो
सुना है आप हर आशिक़ के घर तशरीफ़ लाते हैं
मेरे घर में भी हो जाए चराग़ाँ या रसूलल्लाह
मेरे सूने सूने घर में कभी रौनक़ें अता हो
मैं दीवाना हो ही जाऊं तेरी राह तकते तकते
मेरी बात बन गई है तेरी बात करते करते
तेरे शहर में मैं आऊं तेरी नात पड़ते पड़ते
किसी चीज़ की तलब है न है आरज़ू भी कोई
तूने इतना भर दिया है कश्कोल भरते भरते
मेरी बात बन गई है तेरी बात करते करते
तेरे शहर में मैं आऊं तेरी नात पड़ते पड़ते
मेरी ऐसी हाज़री हो के कभी न वापसी हो
मिले सदक़ा पंजतन का तेरी नात पड़ते पड़ते
मेरी बात बन गई है तेरी बात करते करते
तेरे शहर में मैं आऊं तेरी नात पड़ते पड़ते