मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे
मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे

या ख़ुदा चरख़े-इस्लाम पर ता-अबद
मेरा ताजे-शरीयत सलामत रहे

मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे
मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे

ए बरेली ! मेरा बाग़े-जन्नत है तू
यानि जल्वा-गहे आ’ला हज़रत है तू
बिल-यक़ीं मर्कज़े-अहले-सुन्नत है तू
ये तेरी मर्कज़ीयत सलामत रहे

मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे
मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे

ए मुसलमान ! तू क्यूँ परेशान है
रहबरी को तेरी क़न्ज़ुल-ईमान है
हर क़दम पर ये तेरा निगहबान है
चश्म-ए-इल्मो-हिकमत सलामत रहे

मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे
मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे

लाख जलते रहें दुश्मनाने-रज़ा
कम न होंगे कभी मदह-ख़्वाने-रज़ा
केह रहे हैं सभी आशिक़ाने-रज़ा
फैज़े अहमद रज़ा ता-क़यामत रहे

मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे
मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे

रोज़े-महशर अगर मुझ से पूछे ख़ुदा
बोल आले-रसूल तू लाया है क्या
अर्ज़ कर दूंगा लाया हूँ अहमद रज़ा
या ख़ुदा ये अमानत सलामत रहे

मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे
मसलके आ’ला हज़रत सलामत रहे