ए इश्के नबी मेरे दिल में भी समा जाना
मुझक भी मुहम्मद का दीवाना बना जाना

ए इश्क नबी मेरे दिल में भी समा जाना

जो रंग के जामी ओर रूमी पे चड़ाया था
उस रंग की कुछ रंगत मुझ पे भी चड़ा जाना

ए इश्क नबी मेरे दिल में भी समा जाना

कुदरत की निगाहें भी जिस चहराए अनवर को तकी है
उस चहराये अनवर का दीदार करा जाना

ए इश्क नबी मेरे दिल में भी समा जाना

जिस ख्वाब में हो जाए दीदारे नबी हासिल
ए इश्क मुझे निंद कभी ऐसी भी सुला जाना

ए इश्क नबी मेरे दिल में भी समा जाना

ए काश रियाज़ ए पैग़ाम मदीना पाक से
सरकार बुलाते है तुम नात सुना जाना

ए इश्क नबी मेरे दिल में भी समा जाना

दीदारे मुहम्मद की हसरत तो रहे बाकी
जूझ उसके हर एक हसरत दिल से मिटा जाना

ए इश्क नबी मेरे दिल में भी समा जाना